नन्दी सेवा संस्थान के तत्वावधान में जन सुरक्षा अभियान के तहत अब व्यवसाइयो के आकस्मिक निधन होने और व्यापार में प्राकृतिक या अप्राकृतिक क्षति हो जाने की स्थिति में अब नन्दी सेवा संस्थान अब क्षतिपूर्ति और दुखद निधन हो जाने पर उनके परिवारों को आर्थिक सुरक्षा उपलब्ध कराने हेतु संकल्पित है।

नन्दी सेवा संस्थान के जन सुरक्षा अभियान के अंतर्गत स्थाई व्यवसाय करने वाले व्यापारी गण जुड़ सकते हैं। यह व्यवस्था सबके सामूहिक सहयोग से सभी के लिए होगी। नन्दी सेवा संस्थान के जन सुरक्षा अभियान से जुड़ने और सहयोग हेतु निम्नलिखित शर्ते होंगी|

जुड़ने हेतु सामान्य शर्ते....

(1) नन्दी सेवा संस्थान के जन सुरक्षा अभियान से जुड़ने के लिए जनपद प्रयागराज कही भी स्थाई दुकान होना आवश्यक है।

(2) अभियान में जुड़ने के लिए कोई भी पुरुष /महिला का अपने परिवार का कमाऊ सदस्य होना आवश्यक है यानी घर की व्यवस्था को चलाने की जिम्मेदारी उसी के ऊपर हो।

(3) अभियान से जुड़ने के लिए सदस्य की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष तथा अधिकतम उम्र 60 वर्ष होनी चाहिए।

(4) सदस्यों को इस व्यवस्था से जुड़ने के लिए संस्था की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होगा।

(5) रजिस्ट्रेशन के उपरांत सदस्य किसी भी व्यापारी के निधन पर या किसी के व्यवसाय में क्षति होने पर सहयोग की प्रक्रिया प्रारंभ होने पर सभी को ऊक्त परिवार को सहयोग भेजना अनिवार्य होगा।

(6) सहयोग सीधे लाभार्थी के खाते में भेजा जाएगा। निर्धारित धनराशि को सदस्य सीधे लाभार्थी के खाते में भेजेंगे और उसके बाद सहयोग का स्क्रीन शॉट संस्था की वेबसाइट पर अपलोड करेगे।

सदस्य के निधन के उपरांत लाभ प्राप्त करने की पात्रता.....

(1) सबसे प्रथम लाभार्थी के लिए पात्रता यह होगी कि वह संस्था से 6माह से जुड़ा हुआ हो, यदि संबंधित को को गंभीर बीमारी है तो उसका 9 महीने से जुड़ा होना अनिवार्य है।

(2) दूसरे तथा उसके बाद के लाभार्थी के लिए पात्रता यह होगी कि वह कम से कम 6माह पूर्व जुड़ा हो और जुड़ने के बाद पूर्व के सभी लाभार्थियों को सहयोग किया हो।

     (2,A) यदि लाभार्थी मेडिकल एसोसिएशन द्वारा घोषित किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित रहा हो तो उसका 12 माह से जुड़ा होना तथा 90% अवसरो पर अन्य पूर्व के लाभार्थियों को सहयोग करना अनिवार्य होगा।

नोट– (1) गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु होने पर अगर मृत्यु का कारण और कुछ दर्शाया जाता है तो उसके पुख्ता प्रमाण देने होंगे अगर टीम उस प्रमाण से संतुष्ट होगी तो ही माना जायेगा, अन्यथा बीमारी ही माना जायेगा। इस तरह के मामले में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार पूरी तरह से संस्था के पास होगा।

         (2)  संस्था, दिवंगत सदस्यों के एक से अधिक नॉमिनी होने की स्थिति में दूसरे नॉमिनी को सहयोग सुनिश्चित करने हेतु स्वविवेक एवं स्वतः हस्तक्षेप करने को स्वतंत्र होगी, जिसपर लाभार्थी द्वारा किसी भी प्रकार की कानूनी या गैर कानूनी कदम नही उठाया जा सकेगा। 

         (3) संस्था, कोर टीम सहयोग के आह्वान हेतु अपने स्वविवेक का भी इस्तेमाल करके निर्णय लेने को भी स्वतंत्र होगी, वैधानिकता या किसी भी प्रकार के मामलों में जहां उचित समझेगी अपने स्तर से परीक्षण करने को स्वतंत्र होगी। कोई भी सदस्य/नॉमिनी सहयोग प्राप्त करने हेतु कानूनी दावा/अधिकार नही कर सकेगा,बल्कि संस्था नैतिकरूप से सहयोग करवाने का प्रयास करेगी।

        (4) उपरोक्त नियमो से इतर हटकर न किसी का सहयोग किया जा सकेगा जा सकेगा न ही किसी का सहयोग रद्द किया जा सकेगा।

       (5) मृत्यु या क्षतिपूर्ति लाभ के लिए मृत्यु तिथि के क्रम में या घटना के क्रम में सहयोग किया जाएगा। 

       (6) सुसाइड या किसी विवादित केस या अन्य केस जो संज्ञान लेने लायक हो, में संस्था के पास पड़ताल करके वस्तु स्थिति से अवगत होने के बाद निर्णय लेने का अधिकार होगा। 

सदस्य के व्यापार में हुई क्षति के लिए लाभ....

यदि किसी सदस्य के व्यापार में कोई प्राकृतिक या अप्राकृतिक क्षति जैसे चोरी,, शॉर्ट सर्किट, दंगा आदि में हुई है तो उसके प्रतिपूर्ति के लिए संस्था द्वारा अपील की जायेगी जिसमे अधिक से अधिक से क्षतिपूर्ति करवाने का प्रयास किया जाएगा।

व्यक्तिगत विवाद में हुई क्षति की भरपाई दावा योग्य नहीं होगी।

नोट - समस्त प्रकरण में सहयोग संस्था के सदस्यो द्वारा किया जायेगा इसलिए एक निश्चित या कम - ज्यादा सहयोग राशि प्रदान करने की गारंटी नहीं होगी।